ज्योतिषी का धंधा...



ज्योतिषी का धंधा...

संतोष शर्मा


एक करोड़तपि ज्योतिषी और.. 

   किसी इंसान का भूत-वर्तमान-भविष्य बतलाने का दावा करने वाले ज्योतिषियों में से एक हैं ज्योतिषी आचार्य सत्यानन्द। महल की तरह घर और वातानुकूलित ज्योतिष कार्यालय में आम से लेकर खास लोग अपनी कीस्तम आचार्य के हाथों सुधारने के लिए आया-जाया करते हैं। इस ज्योेतिषी के एक एयरोक्राफ्ट इंजीनियरिंग ट्‌रेनिंग केंद्‌रे है। जहां एक छोटा प्लेन रखा हुआ है। सिर्फ ज्योतिष कार्यालय में ही नहीं बल्कि वििऊन्न टीवी कार्यकमों में महाराजा के पोशाक में ज्योतिष आचार्य सत्यानन्द उपस्थित रहते हैं। करोड़पति इस ज्योतिषी का पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिरे के बारासात में एक ज्योतिष कार्यालय है। वर्ष 2005 में  नेशनल जीओाग्राफी के निर्देशक फफेंन्च रॉबार्ट ने कोलकाता में भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति के अध्यक्ष प्रवीर घोष पर एक डक्युमेंट्री फिल्म बनाने के लिए आए थे। इस फिल्म में मैने ऊी काम किया है। एक दिन प्रवीर घोष के नेतृत्वा में  बारासात में स्थित  ज्योतिष कार्यालय में ही  के कैमरे के सामने ही सत्यानन्द का भंडाफोड़ कर दिया। इस भंडाफोड़ से बौखलाए ज्योतिषी ने एक चैनल पर लाइव कार्यक"म में अपने भक्तों को प्रवीर और भंडाफोड़ में शामिलों को हत्या करने का फतवा दे दिया! इस पर प्रवीर ने बंगाल पुलिस के मु"यालय भवानी भवन मेें शिकायत दर्ज कराई। जिसके पर आधार पुलिस ने बारासात थाना इलाके से ज्योतिषी आचार्य सत्यानन्द और उसके कई चेलों को गिरफ्तार कर बारासात जिला अदालत में पेश किया, जहां से सत्यानन्द को जेल हिरासत मेें भेज दिया गया। पहले सत्यानन्द का नाम प्रदीपकुमार विश्वास था। उष वक्त वे एक अश्लील पत्रिका प्रकाशित करते थे।

यह तो है सिर्फ एक पाखंडी ज्योतिषी की पोलखोल की सच्ची घटना। लेकिन इस बंगाल से लेकर देश के अन्य राज्यों में ज्योतिषियों का बोलबाला है। तकरीबन सभी भाषाओं की पात्र- पत्रिका , टीवी चैनलों में ज्योतिषियों के विज्ञापन प्रकाशित , प्रसारित किए जाते हैं। कई टीवी चैनलों की मूल आमदनी का क्षेत्र है ज्योतिषी का विज्ञापन। ज्ञात रहे , धोखाधड़ी से संबंधित कोई भी विज्ञापन प्रकाशित , प्रसारित करना कानूनन जूर्म है। देश के कई अन्य प्रदेशों की तरह पश्चिम बंगाल में ज्योतिषियों , तांत्रिकों का कारोबार धड़"े से चल  रहा है। 

       
      जानकारी के अनुसार , किसी भी ज्योतिष शिक्षा संस्थान  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी ) द्वारा मान्यता नहीं दी गई है।  ज्योतिष संस्थान से दिए जाने वाले डिगी , डिप्लोमा ,सर्टिफिकेट आदि का कानून की नज़रों में फूटी कौड़ी भी मोल नहीं है। जबकि द ड्रग्स एण्ड कॉस्मेटिक एक्ट  , संशोधित  के तहत ज्योतिष को गैर- क़ानूनी , अनैतिक , शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मन गया है। 

    इधर , वेस्ट बंगाल स्टेट टैक्स ऑन प्रोफेशन , ट्रेड्‌स , कॉलिंग एंड एम्पलाइमेंट एक्ट  , मौजूद सूचि में पेशे ( प्रोफेशन ) के रूप में ज्योतिष ( एस्ट्रोलॉजी ) का नामों - निशान दर्ज नहीं है। गैर- क़ानूनी इस ( ज्योतिष ) से जुड़े किसी भी ज्योतिषी या व्यक्ति से ' प्रोफेशन टैक्स ' नहीं लिया जाता है। 

      उल्लेखनीय , वर्ष  मे दिल्ली  हाईकोर्ट ने दिल्ली  सरकार को नोटिस  भेज कर निर्देश दिया था कि अलौकिक या जादुई शक्ति से बीमारी या किसी मनविक समस्या के समाधान का लालच दिखाकर विज्ञापन देने व प्रचार करने वाले ज्योतिषियों , तांत्रिक व प्रचार माध्यम के खिलाफ ' द  ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडिज ( ऑबजेक्शनबल एडवार्टइजमेंट ) एक्ट ,  ' के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाये। 

       उधर , वर्ष  में ड्रग्स एंड मैजिक कानून का उल्लंघन करने के आरोप में पश्चिम बंगाल के  ज्योतिषियों की गिरफ्तारी हुई थीं।  सवाल है , गैर- क़ानूनी होने के बावजूद राज्य में ज्योतिष के नाम पर ज्योतिषियों का अवैध धोखाधड़ी का धंधा कैसे चल रहा है। 

     ज्योतिष पेश अवैध है। इससे संबंधित जानकारियां मिलने के बाद भी अगर पुलिस - प्रशासन ज्योतिषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती है तो वह  अत्यंत शर्म की बात होगी।  किसी भी अवैध धंधा ( ज्योतिष ) के खिलाफ प्रशासन व पुलिस को ठोस कदम उठाना चाहिए। ज्योतिष जैसे अवैध धंधे के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।  साथ ही ज्योतिष के सहारे धोखाधड़ी का धंधा चलने वाले ज्योतिषियों को अवैध घोषित किया जाये।

       ऐसे अनेक ज्योतिषी हैं जो अपनी ' दुकान (ज्योतिष कार्यालय)  ' में एक ' सर्टिफिकेट 'लगा कर  हैं। सर्टिफिकेट में लिखा रहता है , ज्योतिषशास्त्र के पाठ  के बाद ' शास्त्री ' , ' आचार्य ' इत्यादि का ख़िताब एवं ' स्वर्णपदक ' , कास्यपदक ' आदि  मिले हैं। 
    पश्चिम बंगाल में सबसे ' लोकप्रिय ' ज्योतिष शिक्षा संस्थान का नाम आदि ' एस्ट्रोलॉजीकल रिसर्च प्रोजेक्ट। ' संस्थान के विज्ञापन में लिखा रहता है ' सरकारी मान्यता प्राप्त प्रोफेशनल एस्ट्रोलॉजर रजिस्ट्रेशन के लिए सिटी कार्यालय से संपर्क करें। ' भारत सरकार की मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त ज्योतिष कोर्स की शिक्षा दी जाती है।

    सवाल है , क्या इस संस्थान में ' ज्योतिष ' के तौर पर नाम लिखवाने का अर्थ हुआ ' सरकारी मान्यता ' मिलना ? क्या ' विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ' या यूजीसी ने  ' एस्ट्रोलॉजीकल रिसर्च प्रोजेक्ट संस्थान ' को कोई मान्यता दी है ? 

     ज्योतिष शिक्षा प्रतिष्ठान ज्योतिष शिक्षा केंद्र , ज्योतिष संस्था , ज्योतिष शिक्षा विश्वविद्यालय ,कॉलेज ऐसे नामों वाले कोलकाता में  एवं इसके अलावा राज्य में  ज्योतिष शिक्षा संस्थान  हैं। इन संस्थानों का दावा है कि  उनके पास से ज्योतिषी के रूप में मान्यता प्राप्त करने का अर्थ हुआ 'सरकारी मान्यता मिलना ' । उनका यह भी दावा है की संस्थान का नाम सरकार के पास रजिस्टर्ड है।

        किन्तु यह दावा सरासर बेबुनियाद है।  एस्ट्रोलॉजीकल संस्थान ' वास्तव में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कोई शिक्षा प्रतिष्ठान या विश्वविद्यालय या कॉलेज नहीं है। जिस तरह से मुह"े के एक क्लब को सोसाइटी के तौर पर रजिस्ट्रेशन करते हैं , ठीक उसी प्रकार सोसाइटी रजिस्ट्रेशन ऑफिस में ज्योतिष संस्थान  का रजिस्ट्रेशन कराया गया है।  इससे अधिक कुछ भी नहीं किया गया है।
         इन तथाकथित ज्योतिस संस्थानों से दी गई कोई भी डिग्री  , डिप्लोमा का फूटी कौड़ी भी मोल नहीं है कानून की नजरों में।  साथ ही किशी भी प्रोफेशन (पेशे ) को क़ानूनी मान्यता देने का कोई भी अधिकार इनको नहीं है। ज्योतिष शिक्षा केन्द्र , ज्योतिष शिक्षा संस्था या विश्वविद्यालय नामक इन संस्थानों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग या यूजीसी कोई भी विभाग द्वारा मान्यता नहीं दी गयी है।
       
        ये ज्योतिष शिक्षा संस्था एक हाथ से पैसा लेती है और दूसरे हाथ से डिग्री  डिप्लोमा आदि देती है। सीधे शब्द में कोई भी व्यक्ति इन संस्थाओं से पैसे सेडी डिग्री  , डिप्लोमा खरीदकर लोगों को उनका ' भाग्य ' बतलाने के नाम पर चूना लगाने का धंधा शुरू कर सकता है। धोखाधड़ी का धंधा करते हुए एक से बढ़कर एक धोखेबाज ज्योतिषी , भविष्यवक्ता आदि बन सकेंगे। इसलिए युक्तिवादियों का कहना है , ' जो जीतन बड़ा ज्योतिषी  , वो उतना ही बड़ा धोखेबाज है। '
   
   भूत , वर्तमान और भविष्य बतलाने को दावा करने वाले ज्योतिषियों का एक ही कम है - लोगों की मूर्खता एवं अन्धविश्वास का फायदा उठाते हुए उन्हें लूटना।  ज्योतिषियों ने ज्योतिष को ठग- विद्या का नाम देने के बजाय इसे (ज्योतिषी ) ' पेशा ' ( प्रोफेशन ) का नाम देने की नाकाम कोशिश भी की है।  इतना ही नहीं , ' ज्योतिष पेशा ' ( एस्ट्रोलॉजी प्रोफेशन ) में प्रोफेशन - टैक्स देने का भी दावा ज्योतिषी करते है। 

              हालांकि उपको यह सुनकर आश्चर्य हो सकता है कि ज्योतिष कोई क़ानूनी मान्यता प्राप्त पेशा नहीं है। ' ज्योतिष पेशे ' के नाम पर प्रोफेशन- टैक्स लेना गैर-क़ानूनी माना जाता है। 

            प्रोफेशन - टैक्स सिर्फ क़ानूनी मान्यता प्राप्त पेशों पर लागू होता है। ' वेस्ट बंगाल स्टेट टैक्स ऑन  प्रोफेशन , ट्रेड्‌स , कॉलिंग एण्ड एम्प्लइमेंट एक्ट ,  में क़ानूनी पेशों की एक सूचि दी गई है। सूचि में दर्ज पेशों के नामों के आलावा एनी किसी पेशे को गैर- क़ानूनी माना जाएगा।  उस सूचि में कहीं पर भी ' ज्योतिष पेश ' का मनो- निशान तक दर्ज नहीं है जबकि ' द ड्रग्स एण्ड मैजिक रेमेडिज ( आबजेक्शनबल एडवर्टइजमेंट ) एक्ट ,  के तहत ' ज्योतिष- पेश ' को गैर- क़ानूनी , अनैतिक , शारीरिक व  मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना गया है। सरकर ने ज्योतिष की तरह गैर क़ानूनी पेशे से जुड़े किसी भी व्यक्ति से प्रोफेशन टैक्स का अधिकार किसी भी प्रोफेशन टैक्स अधिकारी को नहीं दिया है।  
    ज्योतिषी आचार्य सत्यानन्द ने अपना ' पेश ' ज्योतिष उलेख करते हुए प्रोफेशन टैक्स जैम कराया था। लकिन उसके खिलाफ कोलकाता में स्थित मुख्य प्रोफेशन टैक्सके उपयुक्त को लिखित शिकायत की गई थी।  शिकायत में मांग की गयी थी कि गैर- क़ानूनी ' पेश ' ज्योतिष के नाम पर अवैध रूप से लिए गये प्रोफेशन टैक्स एवं ' एनरोलमेंट सर्टिफिकेट ' को रद्द किया जाये।  उस शिकायत के आधार पर प्रोफेशन टैक्स अधिकारी ने ज्योतिष को गैर- क़ानूनी पेश बताते हुए आचार्य सत्यानन्द से लिया गया प्रोफेशन टैक्स एवं उस सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया।  अतः प्रोफेशन टैक्स अधिकारी से यह गुजारिश है कि  ' ज्योतिष- पेशे ' में प्रोफेशन टैक्स नहीं लिया जाये।

    इंसान ज्योतिषियों के पास कई कारणों में जाते हैं।  कई अपने कौतूहल को पूरा करने के लिए , कोई ज्योतिषशास्त्र वास्तव में युक्ति कुछ है या नहीं , उसे जानने के लिए ज्योतिषियों के पास जाते हैं। इसके अलावा प्रमुख एक और कारण  है - चश्मदीद गवाह।  अर्थात हमारे समाज में ऐसे कितने लोग है जिन्होंने दूसरों के मूंह से सुनी कहानी को अपनी आखों से देखा है - ऐसा दावा करते हैं।  जो लोग खुद को चश्मदीदी गवाह के रूप में दावा करते हैं , उन लोगों के बिना सबूत के कोई भी दावा या गवाह ज्योतिषशास्त्र को भ"मरहित साबित नहीं कर सकता।  और युक्ति के सामने लाखों लोगों की गवाह का कोई मोल नहीं है।  हम हजारों - लाखों लोगों की मत को बार - बार विज्ञानं , युक्ति व  सत्य के सामने रद्द होते हुए देखा है। जैसे हजारों वषों से लाखों लोग विश्वास करते आए कि  पृथ्वी का चक्कर सूर्य काट रहा है , लेकिन विज्ञानं की खोज से आज ये बात सिद्ध हो गई है की सूर्य का चक्कर पृथ्वी एवं अन्य ग"ाह - उपग"ह काट रहे हैं। इसके साथ ही लाखों लोगों का विश्वास विज्ञानं के सामने ख़ारिज होते हुए हमने देखे हैं। उसी तरह से ज्योतिषशास्त्र अज्ञानता , युक्तिहीन व  अंधविश्वास के आधार पर बना हुआ एक शास्त्र है।  जैसे - जैसे लोगों में सत्य व विज्ञन का प्रभाव अड़ता रहेगा - वैसे ही ज्योतिषशास्त्र का अंधविश्वास दूर होता रहेगा क्योंकि हमेश से सत्य के द्वार को बन्द नहीं किया जा सकता। विज्ञानं की जय जयकार जरी है और जरी रहेगा।


      जोतिषी, तांत्तिक तंत्र- मंत्र , जादू- टोना , झाड़फूंक आदि पाखंडी कारनामों के जरिये कितने भयानक व अमानविक घटनाओं को अंजाम दिया करते हैं। उसे देख आज के शिक्षित लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं लेकिन तंत्र- मंत्र आदि सिद्धि के अंधविश्वास में फंस कर आज भी कुछ लोग नरबलि तक चढाने से बज नहीं आते हैं। कानून में नरबलि को हत्या का जुर्म माना गया है। फिर भी यह जुर्म करने में कुछ पाखंडी ज्योतिषी,  तांत्रिक लगे हुए हैं। ये साधु या तांत्रिक तंत्र- मंत्र सिद्धि के नाम पर दुधमुहे बच्चे की भी बलि चढ़ा देते हैं। 
 वास्तव में ज्योतिषी, तंत्रमंत्र , जादू- टोना , झाड़फूंक आदि कारनामें एक से बढ कर एक ढकोसला है। लेकिन अंधविश्वास में डूबे तांत्रिक  इन ढकोसलों के सहारे आम लोगों को बेवकूफ बनाकर उनकी धन - संपत्ति ही नहीं बल्कि लोगों की अनमोल जन की भी बलि चढ़ा देते हैं। इसलिए नई सरकार से गुजारिश है कि ज्योतिषी, तांत्रिक , साधु , ओझा - गुनिणों के इन ढकोसलेपूर्ण कारनामों को अवैध घोषित किया जाये। सरकारी स्तर से जनता में इन अंधविश्वास के खिलाफ वैज्ञानिक जागरूकता फैलायी जाये।


  ज्योतिष, तंत्रमंत्र , जादूटोना , झाड़फूंक , चमत्कार आदि से किसी भी समस्या या बीमारी से छूटकारा दिलाने का दावा करना कानूनन अपराध है। औषध एवं प्रसाधन अधिनियम  तथा औषधि एवं चमत्कारी उपचार आक्षेपाई विज्ञापन अधिनियम  के तहत जादूई चिकत्सा करने वाले को जेल व जुर्माना हो सकता है। लेकिन आज भी इस पश्चिम बंगाल में उक्त कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए अनेक तथाकथित चमत्कारी ज्योतिषी , बाबाओं , तांत्रिकों , ओझाओं , ज्योतिषियों की अलौकिक या ईश्वरीयशक्ति द्वारा बीमारी से छूटकारा दिलवाने का धोखाधड़ी धंधा धड़"े से चल रहा है। कोई तथाकथित बाबा तो सिर्फ झाड़फूंक से , अन्धे को रौशनी , गूंगे को बोली और बहरे को श्रवण शक्ति प्रदान करने का दावा तक करते हैं। सिर्फ दावा ही नहीं बल्कि इस साथ के चमत्कारी स्वास्थ्य शिविर का भी आयोजन किया जाता है।

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