‘चमत्कारी घोषित करना ‘मदर टेरसा’ के साथ विश्वासघात’

‘चमत्कारी घोषित करना ‘मदर टेरसा’ के साथ विश्वासघात’

भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति  के अध्यक्ष प्रबीर घोष
भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति के अध्यक्ष प्रबीर घोष
युक्तिवादियों की पोप को चुनौति, चमत्कारी नहीं मदर
मदर टेरेसा का चित्र रख देने से कैंसर पीड़ित महिला का चंगी हो गई घारणा बकवास,  भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति (साइंस एंड रेशनलिस्टस एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के अध्यक्ष प्रबीर घोष ने की चुनौति कहा, मदर की निधन के बाद महिला का हुआ था इलाज़

टेरेसा को मिथ्या चमत्कारी सबूत के आधार पर रोमन कैथोलिक चर्च के संत की उपाधि दिया जाना पाखंड

कोलकाता/संतोष शर्मा । मदर टेरेसा का इस तरह के काल्पनिक चमत्कार के आधार पर संत की उपाधि देना टेरेसा को अपमान करना है। मदर टेरेसा का चित्र रख देने मात्र से एक कैंसर पीड़ित महिला चंगी हो गई को चुनौती देते हुए भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति (साइंस एंड रेशनलिस्टस एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के अध्यक्ष प्रबीर घोष ने कहा कि ऐसा कहना कि मदर चमत्कारी हैं, पूर्णतया गलत है। उन्होंने दावा कि मोनिका को मदर टेरेसा की मृत्यु के एक साल बाद सिरदर्द और पेटदर्द की शिकायत के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जिन डॉक्टरों ने मोनिका बेसरा नाम की इस महिला का इलाज किया था, उनका कहना है कि मदर की मृत्यु के कई साल बाद महिला भी वह दर्द सहती रही। श्रीघोष ने कहा कि कई डॉक्टरों ने बंगाल की तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार को रिपोर्टें दी कि मदर टेरेसा की मृत्यु के कई साल बाद तक मोनिका बेसरा का इलाज होता रहा था।
मदर टेरेसा स्वयं किसी भी चमत्कार में विश्वास नहीं करती थीं। वो झाड़-फूंक, तंत्र-मंत्र आदि में विश्वास नहीं मानती थी। टेरेसा जब भी बीमार पड़ती थीं, तो वे इलाज के लिए अस्पताल जाती थीं। किन्तु, दुःख की बात है कि मदर टेरेसा को मिथ्या चमत्कारी सबूत के आधार पर रोमन कैथोलिक चर्च के संत की उपाधि दिये जाने की घोषणा की है। इसका हम युक्तिवादी, तर्कवादी संत विरोध करते हैं। यदि उन्हें संत की उपाधि देनी ही है तो मदर के मानव सेवा के नाम पर दी जाए।
मिशनरीज ऑफ चैरिटी की प्रवक्ता सुनीता कुमार और वेटिकन सिटी को चुनौती देते हुए श्रीघोष ने कहा कि एक हादसे में उनके बायें कंधे की हड्डी पांच टुकड़े हो गई है। यह एक साल पहले का हादसा है। उन्होंने कहा कि यदि मदर टेरेसा के चमत्कार से उसके कंधे को स्वस्थ कर दिया जाय, तो मैं यह स्वीकार कर लूंगा कि मदर को चमत्कारी शक्ति है। क्या पोप प्रबीर घोष की चुनौती का सामना करेंगे?
श्रीघोष ने कहा कि इस तरह के दावे हर धर्म में चमत्कारिक संप्रदाय स्थापित करने के लिए किए जाते हैं। जैसे आजकल मदर टेरेसा के नाम पर ईसाई धर्म कर रहा है। उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा को गरीबों, रोगियों और अनाथों की सेवा के लिए संत की उपाधि दी जा सकती है। किन्तु यदि मिथ्या दावों और चमत्कारों को आधार पर मदर को संत की उपाधि दी जाती है तो, वह उनकी परंपरा के साथ नाइंसाफ़ी होगी। यदि इस तरह के चमत्कारों की कहानियां फैलाई गईं, तो गांव-जवार में रहने वाले कम पढ़े लिखे लोग बीमारियों का अस्पताल में इलाज करवाने की बजाए चमत्कारियों को ही सहारा लेंगे। केवल अंधविश्वास ही फैलेगा।
क्या है प्रकरण?
कोलकाता की सड़कों पर गरीबों, रोगियों और अनाथों की सेवा में 45 वर्ष बिताने वाली एवं शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मदर टेरेसा को अगले वर्ष 2016 के सितंबर में रोमन कैथोलिक चर्च के संत की उपाधि से नवाजा जाएगा। वेटिकन सिटी ने 18 दिसंदबर को यह जानकारी दी और बताया कि कैथोलिक ईसाइयों के शीर्ष धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने यह उपाधि देने के लिए मदर टेरेसा के दूसरे चिकित्सकीय चमत्कार को मान्यता दे दी है। उसके तुरंत बाद उन्हें संत बनाने जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
मदर टेरेसा द्वारा कोलकाता में स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी की प्रवक्ता सुनीता कुमार ने कहा कि हमें अब वेटिकन से आधिकारिक पुष्टि मिल गई है कि चर्च द्वारा दूसरे चमत्कार की पुष्टि की गई है और मदर को संत की उपाधि दी जाएगी। हमें इसे लेकर बहुत उत्साहित और खुश हैं।
वर्ष 2002 में वेटिकन ने आधिकारिक रूप से एक चमत्कार को स्वीकार किया था, जिसके बारे में कहा जाता है कि टेरेसा ने अपने निधन के बाद यह चमत्कार किया। वर्ष 1998 की इस घटना में पेट के ट्यूमर से पीड़ित मोनिका बेसरा नामक एक बंगाली आदिवासी महिला ठीक हो गई थी। पारंपरिक रूप से संत की उपाधि की प्रक्रिया के लिए कम से कम दो चमत्कारों की जरूरत होती है। टेरेसा के साथ काम कर चुकीं सुनीता ने कहा कि पहला चमत्कार कई साल पहले कोलकाता में हुआ था।  अब का मामला ब्राजील का है, जहां उनकी (टेरेसा की) पूर्व
मोनिका बेसरा
मोनिका बेसरा
की प्रार्थनाओं के परिणामस्वरूप एक व्यक्ति चमत्कारिक ढंग से ठीक हो गया है।
बंगाल के दक्षिणी दिनाजपुर जिले की एक जनजातीय महिला मोनिका बेसरा ने वर्ष 1998 के 5 सितंबर की रात को याद करते हुए कहा कि मैंने जब मदर टेरेसा की तस्वीर की ओर देखा तो मुझे उनकी आंखों से सफेद रोशनी की किरणें आती दिखाई दीं। उसके बाद मैं बेहोश हो गई। अगली सुबह उठने पर ट्यूमर गायब हो गया था। बेसरा ने कहा कि वह मेरे लिए भगवान समान हैं। यह शुभ समाचार है कि अब उन्हें संत की उपाधि दी जाएगी।
बेसरा के उपचार को बाद में वेटिकन द्वारा मान्यता दे दी गई थी। उसके बाद वर्ष 2003 के 19 अक्टूबर को तत्कालीन पोप जॉन पॉल द्वितीय ने एक समारोह में मदर टेरेसा को 2003 में ‘कोलकाता की धन्य टेरेसा’ (बेटिफाइड) घोषित किया था। ‘बीटीफिकेशन’ संत की उपाधि की तरफ पहला कदम होता है।
(souce:http://report4india.com/2015/12/29/)

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